Wednesday, March 4, 2020

माँ की बढ़ती झुर्रियां...


जब माँ कहती है कि बूढ़ी हो गयी
भतीजी मेरी सिहर जाती
इस बात का शायद उसे कुछ बुरा एहसास हैं
तब तो उसकी मासूमियत पर हँसी बहुत आई थी
अब मुझे भी डर लगता हैं
जब भी माँ आँखें मीचती तो मैं उनकी झुर्रियां गिनती
जो मेरे से गिनने में नहीं आती!
कड़वे अनुभव से अब कुछ ज्यादा बढ़ गयी हैं
रात को सोती नहीं बेटियों का सोच कर
अब माँ कुछ ज्यादा ही चिंता करने लगी हैं
मैं कहती हज़ार बार, माँ सबको ये नसीब हुआ!
एक पहलू दुख तो दूसरा पहलू सुख मिला
कहाँ वो मेरी सुनती हैं?
बस दिन प्रतिदिन कमजोर होती जा रही हैं
लगता हैं ईश्वर से उन्हें कुछ ज्यादा ही शिकायत हैं
माँ अब कुछ ज्यादा ही बूढ़ी होती जा रहीं हैं!
मैं कहती हूँ , कभी मजाक में अभी 'साठ' पर पहुँची हो
अभी तो पोते पोती का ब्याह तो देख जाओ
वो कहाँ, मेरी बातों का सही जवाब दे पाती हैं
माँ कुछ ज्यादा ही बूढ़ी होती जा रही हैं...
हे ईश्वर! माँ बनायी तो उम्र की सीमितता क्यो रखी?
इनकी उम्र अनगिनत लगा कर भेजता तो 'तेरा' क्या जाता
हम दुख-सुख हर चीज़ मे 'तेरी' जगह माँ की तरफ़ देखते
बीमार होते तो हाय हाय से माँ ही पुकारते
मैं सोचती हूँ एक बार
क्या मतलब हैं हमारी  सफलताओं का, यश का, सम्मान का
अगर माँ उसे देख ना पाए!
दोस्तो सबकुछ निरर्थक हैं व्यर्थ है अगर माँ नहीं हैं
ऐसे में बस एक ही उपाय नज़र आ रहा हैं सभी के माँ के समय यमराज को छुट्टी भेज दिया करेगे
अपनी माँ को अनंत आयु तक जीवा देगे...
 
मेरी माँ को सभी की माँ को अनगिनत आयु मिले😊

2 comments:

  1. वाकई माँ के बिना सब कुछ अधूरा है... सबाकी माँ की उम्र लम्बी हो।

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  2. ..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
    कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई

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